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________________ ४०१ करपट चषयार कउठ करमंदी विंद पहुय मणोहर मंदयार पाल्हइ मचकंद सीसमि सरधा सरल साग सिंभालि सलीसइ बंसया लि बडि बम पमुह वसइ जहिं दीसह जात्रिगु जनु चलित छह अति घणु हरिसेइ सूशा सालहि मोर सबटु अपि मागि विहसेई (२०४ ५० २१) कवि ने फागु खेलने का उल्लासपूर्ण वर्णन बसत्र वर्णन की गोड में किया है। मधुरितु का उन्लास चित्रण करने में कवि का मन खूब रमा है। अदों की सरलता, प्रवाह स्था अड्चयन की कोमलता देखिए: सरवर निरमल नीर परिय हसिहि परिवरिया मालि सुमंघिय तथा क्षेत्र पगि पगि अवयरिया धूव डि धावलियालडर धसमसती चालइ लडमडत लहर्कत देषि दूबहि जिणु ननावइ गाम ममारिय गोवलिपी गहि गेलि करते परले तरले लोयगड हसि हिय हरते तिमि परि पाय वर वणि चाल घड दिसि नारे, काम विजनिलिमा युबड सारे इस बरस कवि की रचना की में अनुब, मृत्य, मीन या काव्य की रसमयता और मेवता का परिचय मिल पाता है। वर्ष राजि का वर्षम उत्कृष्ट है: अब दावि बाझं बापराउरितु पका पडून दिशि दिसि रहि संत कोर मनमाधि पुषि मून पानी पंचक बस बेल पर लिया देवबडी मारा इंदर रवि मिलिया मांडला डाल गुहावनी १, वरि महमहए पाल विन नाइबा नारिमि महगहए बीमारि बहुमगि परिव नब मा पारो सरवर विडद कि कम मार कारो
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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