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= नेमिनाथ फाग (प्रथम)
= नैमिनाथ फाग (द्वितीय) =
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(जय सिंह सूरि )
कृष्ण वर्षीय जयसिंहसूरि कृत दो की नेमिनाथ के जीवन पर उपलब्ध होते है। कृष्ण वर्षीय एक जैन गच्छ का नाम था। डा० साडेसरा ने इन फाग का संपादन बड़ौदा के ज्ञान मंदिर की प्रतियों के आधार पर किया है। ये फागु पोथी नं० ४६७७ से, जिसमैकुल आठ ही पत्रे (२४८-५५) है, लिपिबदुध किए गए है।
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जहां तक इन दोनों फार्मों के कथा सूत्र का सम्बन्ध हैं, दोनों में पर्याप्त साम्य है। माषा भाव उपमाओं तथा परंपरागत वर्णनों में भी पर्याप्त साम्य है परन्तु छंद व काव्य प्रवाह में दोनों का स्वतंत्र महत्व है। दोनों फार्गों के तुलनात्मक कुछ काव्यात्मक स्थल अंग्रा कित है:नर्स वर्णन
(प्रथम फाग )
वन सह मंडन अह पहूतु रितुराज वसंतु चंपक बैडल वल कमल परिमल विलसंता कोयल कलिख कर हि जापू वाजड़ वर वीम मन्नावs प्रिय पाय ति तस्मी अहि दीव ममइ भगर महुवान भरत कंकार करता रितु रायह किरि पट्ट थट्ट र किति पढा varta after मलहवार दसीदिति पूरंगो arraft arfafe मन मा arfer वर सहकार सांहिंडोला
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मानव का रंग
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१- प्राचीन कामु संग्रह- डा० साडेसरा ० ८-२१ ।