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________________ 388 घटा ही उमड़ी आती है।पक मी बड़े मार्मिक है। इसके अतिरिक्त सुन्दर उपमाए दृष्टान्त, उदाहरण, वीप्सा ,अथान्तरन्यास, वर्णनगम, उल्लेख आदि अनेक अलंकार है। कुछ उदाहरण देखिए: (क) फिर पिरि मिरि मिरि मिरमिरि ए मेहा बरिसंति खलहल खलहल खलहल ए वाहला वहति रिमझिम रिममिमि ए पायकम्मलि धाधरि. अनुप्रसाों के अतिरिक्त उपमा, रूपक और उत्प्रेवाओं की मधुरता भी उल्लेखनीय (स) जसु वह पल्लव कामदेव अंकुस जिम राजा (ग) मयण खग्ग जिम, लहलहंत जसु वेणी दंडो सरला तरलउ सामला रोमावलि वंडो (घ)तुंग पयोहर उल्लसइ सिंगार धबक्का कुसुमवाणि निय अमिय कुंभ किर थापणि मुक्का (30) कम्न जयल जसु लहलहंत किर मयण हिंडोला (च) सोहइ जाड कपोल पालि जा गालिमसूरा (8) महर बिंब घरवाल मंड बर बंधामी सीमल कोमल पूरी बाब जिन जिम वाद भाव मडकर मानषि व बिन विम नाचते और भी अन्य उदाहरण उल्लेखनीय है, जिनमें स्वाभावोक्ति और वास्तनिवास हि महत्वपूर्ण है: (क) उमसमरसभर परिवा रिमिरार भइ विद्यामणि पहिरवि का पत्थर मिहह जिन मधिरि परिवपि बहुधम्म समुज्जल मालिना मुह कोस व पसरंत महाबल 1 - वही . 4 पद 9, बापा कवियोः के०कामशास्त्री का स्लीपर घर विश्लम।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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