________________ महुर गम्भीर सरेण पेष जिम जिम गाजते पंचबाण नियकुसुमबाग 'तिम तिम माते। जिम जिम केतकि महमन्त परिमल विहसावइ 'तिम तिम कामिय वरष लगिग नियरमणि मनावइ / परिमल का विकीर्ण होकर बिसना और कामी पुरुषों का अपनी मानिनी पत्तियों के पैरों पड़ पड़ कर उनका मान मनावन कितनी तीव्र कल्पना है। पाव का संवहन करने में भाषण कितनी सक्षम है। प्रकृति का काथ्यात्मक चित्रण उसका प्रस्तुत, अप्रस्तुत दोनों रूपों का मोहक एवं चित्रात्मक वर्णन उल्लेखनीय है: बीयत कोमल मुरहि वाय जिम जिम वाक्ये माप पडफ्फर माणषिय विम तिम नाचन्हे जिम जिम जलपर भरिव मेह गाणि मिलिया तिम तिम कामीतमा नयण मी रिहि लहलिया विदगृथा मानि नियों का आवेश मान में आकर नृत्य करना और बिरडिपियों के अनुपूरित नयन सभी कितने उल्लेखनीय चित्र है। वियोग-पब में वी रितु की सपस्त सुखद वस्तु की संवेदना देने वाली हो जाती है। शब्दों के सरगनकारी मार में जै पावस साकार हो रही है और वही माविकानों की बिरा-पीड़ा का साधारणीकरण अनुभव कर माडू बहा पी है।माव वडकर मानषि व बिन सिम माबोर में किसनी सकट बाकि है। पावस में इनी देवों की मार मर्यबा और विवतियों के प्रकार में कोश के लिए मामा-हिर कर लिला बा / / झारखोरव पर ही स्थलिमा चकित चिस्व परिवारिकाओं सम्मान पावोग की प्रसन्नता का भी क्या wie mm पन र भान उत्सुकता में वह मुनि के पास दौड़ी बाबी