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राजा महीपाल वेगवंतर छइ रामी विसाखी पुत्रि नाम विवेक विदूषी आहार लेवा मुनि इक माया वह्नयामा बाहार लेवा जाम बस्ति निरमल गुण धामा गरिव बइठी ताडु उवरि थुकि मद बंधी राजा छेह लहूही करी तुम सठ दीनी
निदा गरुडा आयु की मुनिकन्ह लगाइ
कुंवरि ते तपु लियउ अनसरण आहारी और इस प्रकार भिवार्थ आये युगल चारण मुनि उसे १६ कारणों से सम्पन्न व्रत करने का विधान समझाते है। कथा वस्तु धार्मिक तत्वहोते हुए भी इस छोटी सी कृति में क्या-त्व होने से पाठक या श्रोता की रूचि बनी रहती है राव रचना का उद्देश्य उपदेश प्रधान है कवि जनसाधारण में किस प्रकार पूर्व मन में Pregcreat से इस भव में फल प्राप्ति का सिखावन देकर जन साधारण के सामने संयम व उपासना के १६ कारणों को कथा सूत्र में बांधता है।
इन कुली तेरी जनम हुआ पूश्व विदेह, सोलह कारण वरत करी बीर्थकर छोइ वन वाली पावनमी कहि वापि विवार्थ, मादा मावि चैत्र मास कहिए विवारा
करि मंस एक टोक्छु पालीन्जर, परिहरि परि व्यापार व मध करीजंड ffer घरि पालियर कानवि कीन्जर
विबन गाना चरित्र वर्षो
वहि विन करीन्जर
पालिए सब
पटारे,
ज्ञान निम्बर बार पढन बहु रंगि विवा
भव भव दो पर महि बर रामु घरी. पारिवान व वारि वेद कति पातीबर