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शनिबर साधु समाधि बरी उपगार करेन्बा, बसविल बैगावरत करी पालिन्ज भारत देवड प्रक्खि कर सब बीगा टास, बाबा गुरु मवि करी भगति प्रतिमा शास्त्र बना इनि बो पढी हि भवति करी, प्रवचन बानी पकिरी निएका पानीपत बाल प्रवचन पालियइ मनि निराश भाभी, बोलह पावन मावि र मुर पास बानी दिन दिन प्रतिमा पूजिवइ निसि जाप जपीज्य, बोबड पन अवमठ मोदिक डोटीमा महवा पितेवन वार बामसिन लहिण्या, मुनिबर अस्थिय भय च सवपूजकरीज बारव गुरु पयनमस्करी ब्रत दिल कर तीनो
गतकाल न्यास की दिढ मरमपि सीधा इन्हीं बोल कारणों से नायिका ती भविष्य में श्रेष्ठ योनि को प्राप्त
कवि ने कावास्यों वाक्य के सभी अक्सियोंकि कामना करता किन मोका काला को बनी ममकर को पालता से असाधारण पद शाम होगा:
एक मिनो ब्रतुका मा बहवा नारी सीकर पर बोला यो पमिमा भारी सनीति निरा किस कारण
बमबार और सी टितिक महत्व नीव है परन्तु मामा की टिकिया बस विकास की दृष्टि से सोलह कालराम उतनीय विकर कवियों की चमार की पोती कि मिटी माय मुनियों कियों स्वामी मौतुबराती।