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चऊह छीवासीय वरसि पाकलिकालह रायो बीविड रबीर भवीय लोय कजि उपदेश निवासो पपई गुबई के भुग पवि मेलई नर नारि
है मन वा wि मुख लाई ए बार भवपारे इस प्रकार ५वीं सताब्दी की रास संशक कलियों में पारा और विषय की दृष्टि सेकलिकाल रासका महत्वपूर्ण स्थान है।