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अति निरलावन देह स्य, पुडि वापि कठोर म्यारिड वर्ष इस्या इमाए घर माहि जि बोर माइ बाप बंधव कुटुंब म्यू करइ विरोध दीसइ धरि धरि नब नबाए कारपि बिन क्रोध
लोपीय कुल गुरु तमीब रीति की मरज्याद सीम दीयता कर रोष माडा याद मीचं गोत्र उत्सम तपाए अवतार सुपीजा साब सूच जे नवि धरई ए है कहिइ अबान ये धन माया केवलयंए तीही करइ वमान इषि परिकेता कहनु बोल ई तिहिविसाठे र लमणि पापीइ ए माया कलिकाले
किय कोचन चम्म भए, भन लोचन जोर अंतरंग बरि निरजाब पब मालपोत दान सील पमना व्यास किन पापड सहा निवड होर धर्म न भी पापड छ एनी मन पधि राइ श्री समति पाता
पपई हीराद पवीय कोष पव माला (1) वस्तुतः राम की पीपट हो पाता है कि १५वीं वादी आने भाले रासीमा बल बीमित नहीं रखी तथा उसमें विविध विषयों का भी विवेम होने कमा बिया कि पूर्व में अन्य रामों में विविध विषय वस्तु रामों में वर्षित हो जी पाति प्रस्तुत राम में भी कवि ने अपनी स्वेच्छा
कासिम का मेमोपांग वपन बिमा को इस पैमाने पर है। मावती का किया उदायों को भी स्पष्ट for t..