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________________ : कलिकालरास हीरानंद हरि ५वीं शताब्दी के प्रमुख कवियों से रहे है जिनकी इस ताब्दी में कई महत्वपूर्ण लिया किती हैं। जिनमें बस्नुपात राम (0 १४४४), दशार्णभद्ररास, जंगु स्वामी वीवाडला सं० १४९५ विद्या विकास पवाड़ी, स्थलिपन बारहमासा आदि प्रमुख है, जिन पर आगे के अध्यायों में प्रकार डाला पायगा। कलिकTETस भी अपने ही प्रकार की रचना तिकाल रास कलियुग की परिस्थितियों और गुणों पर प्रकाशडालता है।इसताब्दी में राम सैक्षक रचनाओं में मह अपने प्रकार की पहली रचना है।कलियुग की लोकस्थिति का वर्णन महाभारत में मिल जाता है। हिन्दी मेंमाण कवि का कलि परित • सर्व प्रथम मिलता है संमें सभा चंद्रकृत कठिचरित और . १८४५ में रसक गोविंद कृत कलियुगरानों में आदिन्ध मिलने है। परन्तु प्रस्तुत राम बाण के कलिवरित मी १०० वर्ष पुरानी रचना है।इसकी प्रति जैसलमेर के बैन अंडार में है तथा प्रतिलिप अभय जैन प्रस्थालय से उपलब्ध है।पुरावस्व मंदिर जयपुर के एक गुटके में भी इसकी प्रारम्भिक १८ गाथाएं मिलीं। खना प्रकाशि श्रीरामचरिबाना वीं बनादी उत्तराई की है। जिसमें इनकी भाषा सरल राजस्थानी या माजीम दी है। कवि ने वर्षनमें माग बहारा लिया है तथा कब्धिग के क्ट मीठ अनुभवों को खाने में पनिम्नानागामि रहा है। बाद में मुसलमानी राज्यों हुए बत्वाचार की प्राय गावर प्रस्तुत रास लोक काय शिक कवि वीनर पाळू पर किका प्रभाव दिखाया है।वी की स्थिति राणा, मा, मि, बरतु कन्य, सा, गुरु वीर्थ, तपस्वी, दान तथा निवर .- दी तुरीन बर्षक , मई १९५०ी भवरलाल नाहटा का
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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