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संभव है कि इसका लेस काली शादी हा हो।
रचना गेय रासकरती ने राम के सम्बन्ध में अपनी ओरसे कुछ भी नहीं कहा। रचना को देखने पर यह स्पष्ट हो जाता है कि यह राम गीति तत्व प्रधान है। स्था गरिबमूलक र काय है।
प्रति के मन में एम्पिका इस प्रकार है। . गतिक मुदि प्रतिपदाया ।। देव स्तवन पुस्तकं ।।(बड़ा मान बहार, बीकानेर प्रवि)
इस प्रकार १५वीं शताब्दी की अद्यावधि उपलध प्रमुख रमाओं में श्री विनयप्रय उपाध्याय विरचित गौतम रास का स्थान महत्वपूर्ण है।