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________________ ३३५ लावे में डाल दिवा, सच्चा स्नेह नहीं किया। विलाप करते हुए उनके मन में यह बात बाई कि महावीर तो वीतरागी थे, उनके साथ राग भाव कैसा और मान प्राप्ति के साथ ही वे केवली बन गए। गौतम ५० वर्ष तक गृहस्थरहे। . वर्ष तक भी रहे और १ वर्ष सक क्वाली म में बिथरे और ५१ वर्ष की आयु में मोक्षगामी हुए। क्या का सार यही है। सम्पूर्ण काम्य में कमि में घटनाओं का प्रबन, गौतम का वर्णन उपमाओं और उत्प्रेक्षाओं की उत्कृष्टता के साथ किया है। प्रकृति वर्णन में भी कवि की मानी नहीं है। पूरा काव्य चरित मूलक बाल्यानक है। जिसकी कथा बस्तु धार्मिक है। तथा गौतमबमहाबीर की साधना से सम्बन्धित है। गौतम राब एक ऐसा का काव्य है जिसका उद्देवस्य जीवन को आध्यात्मिक मानन्द और साधना की ओर उन्मुख करना है। बिहार के ही नहीं समस्त मानव समाव को इम्प्रवृत्तियों से निवृत कर समवृत्तियों की ओर वाहन की प्रस्तुत रास का संदेश है। एतदर्थ राम के प्रमुख प्रमुख काव्यात्मक स्थलों का निरीक्षण किया जासकता है। इन्द्रीपति की शारीरिक मा.म, आकार, बम और कातिका वन कमि में बताया: जान पुन गिरि भू धूवर पमिण बडदा बिबा दिहि म नारीरति मिल बिमा कि बिार बार दुब महतो गाव प्रभाव देह साप मावा मय बरबर विवि का पाटिय It बर माग मानि गामी मानिस नियाडिय विकार विनिम का वाडिय शालिक निस, बसपा किरिव सारी कहिली व पुजा लि
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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