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इस प्रकार युक्त उदधरणों में स्पष्ट हो जाता है कि कवि ने कई घटनाओं का परंपारित वर्णन करते हुए भी मौलिक सुजन किया है।
प्रस्तुत राम के दो का वैविध्य है। पूर्ण रचना १९ उवनी में विभक्त किया गया है।इस रास की अवधि में विशेषता यह है कि उसका अनुगमन बस्तु द करता है। भरतेश्वर बाहुबली राम के दो से इसका पयाप्त साम्य है। प्रथम बपि मा उनी में ११ कड़ियों में मामा था सी कड़ी में बस्तु ७८ है। दिवतीय उपमी में चौपाई तथा उसके साथ दिवपदी भी है अतः यह मित्र बंध कहा गया 'तृतीय रोला चौथी पावनी में
हा चौपाई है। छठी बनी के समवरण में दोहा तथा विश्व में चौपाई सम परम के अन्त में ए मिलता है। देशी सवैया की माति प्रयुक्त चार कड़िया भी इसी ठवणी में मिलती है। पुनः समवरण मेदोहा और चार चरमों के साथ एक हरिगीतिका भी मिलता है। और बस में बस्तु द है। जिसके बाम से ही या का बोध होता है। वीं में सोरठा और 6वीं बढ़ियों तक शुदध सोरठे मिलने है जिनके विस्य पद में अनुप्रसा मिलता है। वीवीं बनी तक चौपाई ही मिलती है। वह द सबके साथ मिलता है। इस प्रकार कति रवैविध्य
इस्तियां- राम में अनेक प्रविन परियायो सनीय,
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