________________
और कर्म में वन्द अर्जुन के इन बाद वामों से नहीं हो सका:
अरजुन बोला, रे भकुलीम, अरजुन मिति भई हीन मारजुन सरसी मैडिन कीड नियाल मानि गरव बहीजह इम बापण पणे बबाल, मोलिन नियकुक गई प्रमा
मई गंगा आगमना दीस, लाधी रकन मरी छ । अखाड़े में पी अर्जुन बिजी हुए। इधर द्रोपदी का स्वयंवर होता है और पागों पत्तियों से विवाद होने का कारण चार निवाद को पूर्वजन्म से सम्बन्धित बनाने है। प्रत्येक पान्डव की मारब द्रौपदी माय अबधि बांध देते है, उल्लंघन पर अर्जुन को वर्ष बनना पड़ता है जहां वे बेतया पर्व पर माविनाथ ग अभिनन्दन करते है। वही अपने मित्र बद्र की बहिन की ये बासा करते है। मागे कवि ने पाडवों का मा में अपकर्ष व वनवास सिाया है। सभा में द्रौपदी का बस्त्र हल होता है।मागे बनबास में पीप का राक्षसों को मारमा, हावाह से बबना, भीम का हिडिम्बारे विवाह वर्णन मिलता है।
इयाँधन पान्डवों प्रियंवद को भेजकर पुन: सहावा मागता प्रौपदी स्वध होती है। फिर अर्जुन विशालाब नियार लड़के को डरारोग्राम मते है। धन की बलि के प्रति मे बोपनी का व विमा सेमी है।इबाँधन ने पाटों बिमारी पोली। what त्या राती उन परोही। नारापाड मा म विराट के पास शादी का
विचार मौन के पास गए। माँ माना। मकर सोश कातिम व्यपि मनपानीमा
म प्रमन्या परीक्षितको हस्तिनापुर का राजा मार दीवा र उनका पूर्व पब, पुरवि, संतम,
और सामानों पट करता है उन सक्ने गयोपर wीगरीमा खबर के न होकर पायी
मायावारिसमा