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और अब पूर्णता को प्राप्त हुए।
इस प्रकार सम्ध्य भागमारा को कवि ने .९५ दो में संजोया है मामा की सरलता,जन साधारण के लिए रास का बोधगम्य होना तथा पौराणिक स्थानक को नई रेखाओं में पाना कवि की प्रतिभा के द्योतक है।पात्र बाड़े है। पाचौँ पाइब प्रीषदी, ती बाँधम कर्म आदि। पात्रों में यह माव होता है कि कवि ने Bा असा दोनों प्रकार के पात्रों का वर्णन कर अमन पर सन की विजय दिखाई है। कवि के प्रयोग मौलिक है। जो भाषा की दृष्टि से मध्य कालीन गुजराती वा राजस्थानी के भौतिक प्रयोगों वामाजिक तथा सास्कृतिक वातावरव प्रस्तुत करते है।
जहां तक क्या दि और कथा परम्परा का प्रश्न है कवि ने दोनों का सम्यक विवाह मौलिक अनुबान के भय में किया है। पान्हनों की क्या परम्परा का प्रारम्भ अप साहित्य से ही हो जाता है। ओरिएन्ट रिसर्च इन्स्टीट्यूट पुना में पुरवित हरिवंश पुराण के यादब रु युदध और उत्तर इन चार काडौं में कुल गादव कायों में पान्डब चरित वर्णन मिल जाता है। जैन महापराक में
पी पाण्डवों की क्या का मेलिनाथ के प्रसंग में आदिक उस्लेख मिलता है।बामेर बात का किस महाका लेखक को मिला है। विवि ने
पनि पाल्य या मि। इस प्रकार या परस्परागों C M परिवारो । राससमागर नकली घर
सापटमाओं का योग्य किया था मोवाणि मोड लिएको गाय माया पौवा की ष्टि करते है मा महापार विवि में बाग मापार महाभारत की रक्षा पर पी चिकिमान सा का प्रमाद सर्वत्र स्पष्ट
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