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गुजराती विहवानों ने भी महाभारत लिखा है।पंच पान्डव बरित राज की कथा महाभारत की कथा से मेल तो भाती है,परूतु कुछ रचना स्थलों घटनाओं और प्रमुख पात्रों को कवि ने अपने जैन धर्मानुसार मोड़ा है तथा उसी के अनुसार उसकी सृष्टि भी की है। रासकार ने प्रमुख चरित्रों को जैन परम्पराओं के ताने बाने में उलझाकर क्यामन प्रस्तुत किया है।
पूरी क्या . वणि में विभक्त है। बामि शब्द सर्ग विभाजन का सूचक है।भरतेश्वर बाहुबली राम,' भयपरेशारामादि बनि का प्रयोग मिल जाता है। प्रत्येक व्यमि के बाद रासकार ने बस्तु दिवा है। सि सिम व्वपि को मोड़कर जिसमें उसने वस्तु र अलम नहीं रक्सा। कवि ने व्यपि और वस्तु को मिला दिया है।
कवि ने राम की स्था का प्रारम्भ नेपिजिन स्था सरस्वती की वंदना करने के पश्चाइदिवसीय व्यामि से ही किया है। गंगा और शाम्चनु की बंदना करने के पश्चात दिवसीय बापि में ही दिया है। मंगा और जानन का प्रेम स्या मैमा का उनकी बोरी प्रकृति से जाना ब उन बोनों के पुत्र मागेब सहित हम चले जाने का वर्णन मिलता है मात्रम में शाम से शिकार के लिए विरोध करता h.
कौषल बहितिी बोबडी वीर मि निराज मोटर चला रोरिकी रापीमा , प्रिया पारिधिको
बीब या शिपाया, बोषि बारम मि सपा '
या बानकर मंगानन्दन ने बोरी पिन को और रोग को क्यार हो गया। बा ने बार दोनों
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१.
खबरकाको रामारी
दी। ससीमा
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