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भाग सप अनइ सुबह पार कोई नावि पास न पर बर मारिदं राजि पशिडीब माना
ऐसा था मारपात का राग्य। जिस शिकार से दारथ को पुत्र वियोग होकर मरना पड़ा उसे मारपाल मे च करवा दिया जिस इयून कीड़ा ने मन को सब कुछ बार जाना पड़ा, कुमार पाल के राज्य में ऐसा मा हेय समना गया। जिस मइयके कारण समस्त यादवकुल बिनाको प्राप्त हो गया। उसे लोग कुमार पाल के राज्य में स्पर्म करना भी पाषसमकने लगे। पास अवम में जिस प्रकार सुवास और प्रेमिक नामक रावाजों को इस मिला उसका कुमारपाल में निमेष किया। गणिका गमन पोर पाय था। वैश्याएं सती स्त्रियों की पाति बन गई और जिम पूजन करने लगी। चोरों का उपहन संपूर्ण देशमें कहीं भी नहीं था। पानी नगर में तीन बार वितरण होता । विविध प्रसादों तथा विहारों से रागा ने माडिलबाड की सोपा में अपूर्व वृद्धि की। कवि में इस वर्षन को अत्यन्त सरल भाषा में प्रस्तुत किया है। काव्यगत सरसता पद बबन और वर्षन की चामत्कारिकता हनीय है। अक्सि का मगन गाय की रक्षा और किसान सी
पारधि बीकन पोजीशपाया गोड पारपि बाहर कियो हार नरेतर किमान बार मा भार, परवीन माम मार
मामाची पो afrker बार बार पनि होश भासी बरि लांसारि, मारि मावि स खां, मवि को मार