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मरवाना कद करवा दिया यहां तक कि जूं और खटमल भी मारना पाप समा गया। हिरनियों के समूह सुखपूर्वक केलि करने लगे पिंजरे के तोता मैना पक्षी सुख से रहने लगे। पवियों मैं भी यह बची रहती कि आजकल पानी की मछलियों का भी अहेर बन्द है। कुमारपाल के राज्य की तुलना बिहारी के ang arrer सो किमी दौरव वाघ निवाच- से हो सकती थी । उसका राज्य में साप कोज और यहां तक कि कुत्तों को भी कोई नहीं मारता था। कवि ने कितनी सरसता से इस प्रकार के चित्र उतारे है:
पहिल परी घर पare गिरि मे समाया, कुमर विहारह कर भगति सवि मंडल करामा सोवन ने पूतली प मई मयाल दीठा, संगलि कुमर नरिंद राय प्रेम सूरि बुकावर
आहे बारिल सयलदेसि राय धम्मकराव वरिल नेमि जिम कुमर पालि डागर दिवारि छाती बोकड़ कर बात वाढरि बैधावई,
बसला नावइ कलियारे अजरामर डुबा लडिया दहिया करई आकि पारेबइ बहीमा, माम हरि रोक र मन मेर ater उमर मरद राज रंगि मावई बीव बूम म मान की कोइ कहवि न मारद, हरिया हरिमी करई केहि दिन मार लामो व ईटाननिवि र माई बीfe
रवियादिति,
सीमति डू बारह,
र सोधानवि मार
कावरि होल मम
पानी मावि वि
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वर मोरडीय बधावई,
माई हो कुमर पाठ अन्य मरम न जावई