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मणि सदासराव पामि दुहसेणीय, बीठी मरगड वणीय भूमि नइ पुन सेविय afe मोयन तह दंड बत्तीस विहार, राय करावइ कुमर पाल जगि ठिहुअन सार दुक्म मदिरापान तमइ जायव कुक नासो, किरितं दीवायणि उदक देवि मारवड विणासो राया देसई नीच सबै हिम मदिरा मेलाई, मतवाला नवि मधु करई मलीन वेल गणिका गम निवारई ए नरवई निय राजि, डविन लोग लागवि काजि
वैवा कीथी भाइ सरिस उई कुमरठराय तर पण पूजई जिनह मुक्ति वंद गुरुमाय arraries गम रथ जो पुरित अन्न, tres fes मन माहि जिम वणीय क्सन (trate)
मगर वर्णन और संघ वर्जन में कवि अपनी बानी नहीं रहता। भवनों से निर्माण क्या उस समय बचनीरकृष्टता को प्राणी विविध बाइयों से निमावि अनेक राजाओं वर्षीय था। विविध कार बंद की पोषा बढ़ाने बवार्यमत्र या श्रीकृष्ण या मल
नृत्य गान, तब का लोगों को
द्वार के संपका देश्व और नगदी व का हम को देखकर गरय, या प्रकारका
या स्वर्ग है
इस प्रकार धीरे धीरे
होने चामा पनि की मिरवार में, वनस्थली में हावीर की, नागौर में पापना की, दीव कोडीनार में सोमनाथ तथा पाटन में पार्श्वनाथ
की की ओर
इनकोटा।
कीता, चाचा की सरलता, का पाया होने के
या विविध डोबोरियों का तुम्बन प्रत राय का म