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________________ _श्री जिनपद्यसरि पट्टा भिकारामः! बीमाविबाह या पट्टा भिक एक ही कथा के सूचक है। १४वीं सताबदी के पाइध में हमने सोममति के जिनेश्वरसूरि विवाह वर्णन रास पर विचार किया है। ठीक उसी प्रकार का राम • me का मारमूर्ति इवारा लिखित जिनपइमरि पट्टाभिक राम है तथा मुख्य प्रवृत्तियों की इष्टि से यह अति मोमभूति की रचना से पर्याप्त साम्य रसती है कि परन्तु काब्य भाषा और रस की इष्टि से इसका स्वतंत्र महत्व है। वी वादी के उत्तरा की रचना होने थे यह रखना महत्वपूर्ण है। इस रचना की प्रत्रिी अगरबन्दनाहटा के संग्रह अभय जैन प्रधालय में सुरक्षित है। श्री देशाईने ति से आदि त एवं समय का उल्लेख किया है। कृषि पेखिहासिक है। इसकी ऐतिहासिकता पर पर्याप्त प्रकाश डाला हुजा मिलता है। इस प्रकार यह रास ऐया गीत जो जन साधारण की भाषा में लिखा गया है। जैन पुत्रों और मुनियों ने समय समय पर गो धर्म प्रभावना की रावाबों महाराजायों और समाटो पर अपने धर्म की धम बैठाईगीर ममाव के लिए अनेक चार्षिक अधिकार प्राप्त किए भने उल्लेख गीतों पर पद पर मिल है। विशेष ध्यान देने योग्य निमें पुलमानी बावशाहों पर अशा राम के माधी मे मुख्शाम शादी प्रय कर लिया वाली प्राममा कर हरीवर कायाम करना पर निस्वीकार नहीं HिITarन मे गमकी दीपालन और ताप विना पा राई जिसका t-tarte म रद भवरलाल नाहटा.प. बीबसावा.राम किyि."
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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