________________
रास में स्पष्ट उल्लेख है:
कुशगदीन पुरताप रा रविउस भयोहरू
जणि पबहक जिमचंवरि भूरि सिर सेहतर इसी प्रकार कवि सारमूर्ति के जिमपदमसरि भी ऐतिहासिक तथ्यों से सम्बन्ध रसते है। जिन हाल परि, जिनका पुराना नाम बना है, और जो पड़ावश्यक बाला व पोध के बता रहे है, से सम्बन्धित है। इसी का नाम जिनपदम था। प्रस्तुत गीति रास में धर्म की नीरस सैतिकता ही नहीं है, पर ऐतिहासिकमाणिकता था काव्यामकता है। धर्म की प्रेरणा सेकाधकी भाषा भाव और अली आदि प्रभावशाली हो गई है। कुछ काव्यात्मक स्थलों के उदाहरण दृष्टव्य है।जिन पद्मसूरि पट्टाभिक रास में कवि मे पुरवा रिका जिनेन्द्र को और सदवी का अनुसरण करके रख लिया है। कवि ने राम को पाव पक्सि से गाने के लिएलिसा है:
हपय ठवमा राजु भाव भगति वे नर विवाह
माह हो विवाए मारपक्ति भूमि म भगा माध्यामिक विवाह का साहित्य में महत्व स्पस्ट है।मामे गाकर माध्यामिक विवारी इन न पटनायों का प्रभाव पीर की साहित्याला पर पहा । बीर माल्मिीमा विवाह का मात्व पट मा है। सर पर राम कि पर कायों ग न किया है। अगामा कर शामिल थाम स्थान पर पलोड और समीर और मारिया धमकर मृत्य करती। कवि ने नीरा को सामान्य प रचना को श्रावकों
सामानवाल - मे मषि की कुछ अनुभूतियां इस प्रकार भोपारा यमी महत्वपूर्ण है।
mom
Mruth