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________________ वर्णित किया है। बीच में कवि की उपदेशात्मक सूक्तियां बड़ी अनूठी है: नवि वेग पुराण सुगीजा, चिय पारि लोइ इसीजइ संपि मरेसर मंडिउ क्यू, पेखर भयक महा पड़ रख कुलि कम लोहिम वृद्धि करवठ, नियम बन्ली अंगिग वांतर हा हारव तियामि पाक पपिए भयका प्रविरिपत्ता तामह प मणि रहो राउ, भयभि महापडि गजिउ । बुल्लइ र वयम् विनाश, ण उभंगपि लागिय र बीलह ए सोवन रेस इल्लए मयमा निम्मलीय मरवर ए क्या विचार, निम कुल संपणि भनिरतीय पुरगिरि ५ मिन्हा ठाउ माथि पुराला महिला र तिहया एक्क मैलेख, बोय न मयमा मनु बल ए (०.२) और इसके पश्चात् रवि मधुरितु के वर्षन में डूब जाता है । प्रकृति के उपादानों का परिगणन कवि ने बड़ी कुशलता से किया है। मधुरितु क्या आईमानों मजरेता की बात श्री हीसदा के लिए टूट गई।बसंत कीड़ा के लिए युगवाह और पविरथ पाये। मौरकामलोप मगिरण मंगी अलवार कर बना है। वान्टी बातावरण को किनार बाबीवरसमा देखा पी पीरी गादों अपने भाई को उमा RT पोरे बच करना या दुनीय अम प्रसंग है। वन स्टाग्राममा व प्रकृति का नाम परिगवनात्मक देसिपा भारी बारी माहीमा पीडा बन-पापा पित्त बोरा पीटा पानी विता सब पर भारा पासपरिण मामार मा निसा
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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