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। गय मुटुमाल राय
जैसलमेर के बड़े भंडार से सं० १४..में लिपी एक प्रति गय मुमाल राख की उपलब्ध होती है। इस प्रति की प्रतिलिपि अभयन प्रधालय में विद्यमान है। इसके रवविता इनिजगञ्चन्द्र पूरि के शिष्य श्री देलान । हन का समय निधारित नहीं है पर क्योंकि अगव्यंब्रसूरि का समय - 1... है या बाब संभव है कि इनका काल भी निकाल या ५०५ के बीच में कमी अनुमानित किया जा सकता है।
कृषि की भाषा को देखने पर वह स्पष्ट होता कि बह पांच पदों की अधिकमा लिए है। इसके पूर्व बर्षित राम कृतियों में आने वाले अपच आदि के शब्दों के अनुपात में इस कृति में भय के शब्द अधिका। फिर भी लोभाषा की कृति होने से इसका महत्व स्वस्ट है।
प्रस्तुत राम पुनि मज मुमाल पर लिखा एक बरित काव्य है ।गजमुकुमार कृष्ण बहोबर अनुव थे। देवकी को अपने पहले पैदा हुएम सहित पूर्ण का मुन मिल सकने पर उसमे सम्म को मा मुख जिकीड़ा बामद का प्रभाव कहा। कारण मगर , निमा साथमा की और दो को की टोली बमाम लीग माहार प्रान करने को बायोग मातृत्व सम्मका मिना पने साना कि मि उसी
वारा मार डाले पर भी बयारी गे अब पान
पस्या करके मायादेवा में बाबा कि बाक
बोरामारा बाग का मुखी देश केगी।
मावीमा। नियत समय पर बालक हो पया यो
मार बगेमा या सः उसका नाम बास दिया था। काली ने उसे हम का प्यार पानी
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राजस्थान पारसी वर्ष क
र कानावरा-श्री बबर माष्टा।