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कवक के अन्त में कथा समाप्त होती है और ओक कवक के बाद क्या प्रारम्भ। रेगिरि राम बार कवकों में विभक्त है। इस कड़वकों में कोई विशेष कथा सूत्र नहीं है। चारों कहबकों में गिरनार, नेमिनाथ संघपति विका यक्ष तथा मंदिरों का वर्णन है। वस्तुपाल तेजपाल संघ महोत्सव करते हैं और नेमिनाथ की प्रतिष्ठा का महामहोत्सव होता है। एक विशेषता यह है कि इस काव्य में प्रत्येक कवक में स्वतंत्र वर्णन है जिसका पारस्परिक कोई सम्बन्ध नहीं है । इन चारों कड़वकों में जयसिंह कुमारपाल कडनायक, मालव के भाव शाह के वर्मन है तथा कश्मीर के अजित और रत्न नामक भाइयों का संघ यात्रा वर्णन तथा दानवीरता, संघ तीर्थों के शिल्प, मूर्ति का पराक्रम TIT THEकार पूर्व घटनाओं का वर्णन है। श्रावक भक्तों को धर्मी बनने का आम और धर्म प्रचार ही रास का उद्देश है।
प्रस्तुत रास की एक मति पाटण भंडार में है जो ताड़ पत्र पर लिखी हुई है। डा० हरिबल्लभायापी ने अपना पाठ सम्पादन श्री सी०डी० बलाल के प्राचीन गुजराती का संग्रह से ही किया है।
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गिरि राम मीति प्रधान राख है। सत्वनुश्य में सहायक होता है freeder महोत्व में बहुधा भक्तों के में रास एक भूतपूर्व उड़ता की दृष्टि करते थे। धर्म में हमारे समाज के क्यों में एक विश्वास की दृष्टि की है। इस लोक और परलोक का नाम और बाध्यात्मक का पान
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feast की अध के ही परिवार है।
समाज की इसी विदिष्ट मनोवृत्ति
ने ही समय पर अनेक साहित्यक विधाओं और पोषकतत्वों का निर्माण
किया है।
और प्राय
प्रार्थियों
के
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है। कृति में
का
प्रगाढ़ता है। कवि की पदावली कां
है। दूध निध
क्रिस
ट पढ़ता है। पावा गाव बहुत है।
१- रेवं विरिदार का० उ०० मानावी
देशका डा० उ०मी० नामापी -