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नावह पंडित बाहिरि थाउ, इम्भ थबा नितु गंगड गाइड অ তীয় কাম বিত, সময় অন্ত এ পৰি मेरि महतेष तर म उस रिय, पंडित उच्छ धाउति बोरउ गारिय
उ पडित कोपानल बडिका, पास ही समऊ थी कर बेड को पिराया पोई, नंदु इभिङ सिरिया राज होती नयर इवारे सो ना मालिया, महता का राज अनि लिया जा महका अवसरि बाबा, तब पुठि दिया पुनरवा मुहवा जाणिमूल विणाडि, वैभव भयो नरबाइ कति सिरिक भइन बल्ल धाउ, जो विउ साधि लिया जा राउ महापरा बडबा स्वाभिर, अमित इला रयशिक नामित सिरिया कहइ नरिवह बाइउ, बम ब्लड बैंक पाइउ बस हामि इंद्र अमा मवि बाबा, भामिमि विरु निमा या भाषा तल निसणेविण नरवा पिउकाइला तिमद आमिर
रायह मंदिर पतिका पक्षमनातोपि मोग विरra: (२-1) रमन उबरन में कवि ने राजकीय मान्यों और कर्मचारियों की पारस्परिक ईबी प्रथा राग डाटा माती प्रतिको मा है। पोमनि लिन जनक विषयवार नरम गी। मेवार sinान कोई गप
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