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________________ २६७ की लड़कियों ने वररुचि की नित नवीन कही जाने वाली गाथा को याद करके पुराना सिद्ध कर दिया। ५० बररुचि में भी कटार के विरुद्ध राजा को भड़काया कि यह मंत्री राजा को भरवाकर उसके स्थान पर अपने लड़को को राजा बनाना चाहता है। राजा यह सुनकर बदध को गया। अक्टार ने अपने होटे लड़के को सिवाकर स्वयं की हत्या कराने में ही परिवार का कल्याण समझा। मंत्री कटार को सध नंद ने मार कर परिवार के सामने (उसके लड़के के सामने 'जिसने अपने पिता के कहने के अनुसार उनको मरवा कर स्वयं कोराज पक्ष सिदध दिया था, मंत्व का मान रखा। स्थतिमा के पास जब यह प्रश्न पहुंचा तो वे कौशा वैधा के यहा भोग लिप्त रहा करते थे। माई की राज्यलिया व पिता की हत्या बेखकर उन्होनि मया आलोरिमा (बश्यालो चिउ) कहकर अपने केश उभाड़ डाले तथा विरक्त होकर दीक्षा प्रम कर ली। कवि ने इस कथा में उत्साह निम्पन्न करने के लिए परचि की गाथा काली घटना का मजन किया जो कहीं का पूर्व रचित तथा परवर्ती प्रन्यों में नहीं मिली। वर्षन व भास की सरलता इम्टष्य पणम धूलिपइदा राड पाडकि रित भयर जा बाड मंडा राय नंदा राजे मंत्री खगडा अमाराकाने प्रतिपद पिठाव सगळा मांस, बिकिय का राजा राय नपा नि पशिबावा, मणिय माग र भगवाह परिमाया दिया था कमाई अब रिसाटी राबवावा गाव बरबय मोविलित मात्र म मेरा बोलिन Prem माया MINS पइ,वर कपि भाउ रामण रोशिी पा. पर कमिटारर इस तथा अपने शिष्यों की मासा
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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