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आग्रह नहीं वे तो स्वतः ही का गए है।
अनुप्रसा
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छेकानुप्रसा(1) गढ गर्छस गयबर गुडीय जंगम जिमि गिरि श्रृंग तु
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(11) सई मिस महम
(11) तरवरवार तोबार तु।
२-वल्य
० चलीय गयवर बलीय गयवर गुडिर गर्जत
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३, लाटाव (11) पढन जिनवर पढम विश्वर पाय पणपेवि वीसा ।
५०
अत्यासी: (1) दिखि दिति वारक संचरहर
(11) गंगो मंगिय अंगमइप ।
६- शुत्यनुप्रास (1) मंडीय मनि गय कड मेधाडंबर सिरि धरिय (11)वेगिम बोलहि संपति बाहुन ।
यमक अभंग (1) वेग वेग बोल (11) सर सर सर र उछलीय सभंग / (11) पिय फालम फालि (1) पैरव भैरव रब कर ए
ठिक
बहुवित
इष्टाम्प स्था उदाहरण
() बाम तुरीयमाहिमी त
(1) फिरि फिरिय चिव के करइय
errous (1) काजल काल विवाह ।
(11) बोल मंग
उपमा पर्व उत्प्रेक्षा- (1) बिनि उपवाचक दूरि विनि विरि सोहमिनि नवो ईकानि रवि हषि मंडीय किए अट
(11)
(111) की भाषिक नाहि मा बाइबले ।
रंग चमर कारि बाल चमर ।
(1) परिवाहि उन बाइ
सिर डोका वह पर ि िए टकटकी ट्रॅक गिरि ।
(1) पंडित विनय मंडपावर विरि परिव
भूमंडी का विर बह