________________
२५४
और श्री की मश्वरता पर प्रकाश डाला है।रास में भरत, बाहुबली, आश्रय, बालंबन, बुध की तैयारियां उत्तेजक बबन उद्दीपन तथा परस्पर दानों पदों में दिन उत्साह स्थायी भाव। सेना नर्गन, रण वर्णन, रक्त पात, बुध तथा योद्धाओं के शरीरिक स्वम अनुभावों और संभारियों के प्रतीक है। बीर रस, बीभत्स रस, तथा त रस के म उदाहरण दटव्य है:बीर रसः हुड, इसमम हम हमा, वरवरंत हय अटुट बन्लीव
पामक ययारि टल टलीय मैक बीच मेव मणि ड हल्लीय 000 को फिट कति कालवीय कानानक
कोडी किमोमीनो करि काल मावळ Com जुडइ भिडई पडाई दिसा बडा पति (1) कैषिय किमर कोरिपडीग हरगण साडिया
("मारईपुरतीय भूमिम मम्छर परिया । भयंकर अवध मा और रक्त की नदी बह गई। बीभत्स का परिपाक हमारे साने निष्पन्न होता है। बीमय म. जेडीयम पद पर नावि गाणीय मबार अपूर
बडई मुहड पड पाया पडी माम्बी नि मापी
महा सरि-नारवर ज री राम ' (सपर की नदी और रोंगे Team या भावाने कर प्रसन्न होना पीपा प्रब बरखा." गर- अक्ष के पापा का दोनों पानों परस्परमेन बधः जल यइथ और
वापरार बार सो बाहुबली पर वक्ररत्न से
-परोयर बाली बीमाधी. २-परवर बाकी रामापी