________________
२५३
नये -
पम, बार, वरिस दिन याविहि, सामला गभ सिंगार, पाटवर, ती तर, गुण, दिहिं आदि में भूनता का आग्रह स्पष्ट है। '
सत्सम पद
1
प्रस्तुत कृति में पुराने कप धीरे धीरे कम होते गए है और उनके स्थान में प्रयुक्त area की आयोजना इष्टव्य है यथा चरित्र, मुनि, निरंतर, गुरु चरम, अपर पुरी, गुन गम में पर आदि।
प्रस्तुत राम की भाषा परिवर्तन के इन नियमों का तथा ध्वनियों आदि के परिवर्तन पर प्रकाश स्वतंत्र शोध का विषय है। उक्त उदाहरणों द्वारा यह वो जाना ही जा सकता है कि भाषा सरल पुरानी हिन्दी है तथा राजस्थानी शब्दों की भरमार है।साथ ही अपना स्थान रिक्त कखी हुई पुली हिन्दी और सक्षम द ग्रहण करती प्रतीत होती है। वीं शताब्दी की इति सत्यपुरीय
महावीर उत्साह की तुलना में इस रचना की भाषा में पर्याप्त सरलता प्रतीत होती की
है। पावाला कु उदाहरण
-
() का कुल मंडण का कुल वीर, हा समरंगी (१५४)
(i) ग्रामीय)विस्मर करन विमाज
(1) कठिन उपरि की वह रो
रमजा
मरतेश्वर माइकी राय में धान कि कवि में मीरा के छोड़ में डांस वीरता का उपशमन इनमें किया है।
(140)
वि दीव व दो (१५६ )
सबर है,
वह है
कहै कि
का धमाकार किया है। या राय के निपूर्ण संसार राज्य परीर
१४ मेडियामा कवियों का वास्त्री पृ० १५८
A definite tendendy to replace Apbhramsa form of words by its ammskrit equivalent comes into existence-Gujrati and its Literature by Sri K.M. Munshi- Page 86,