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________________ २५२ प्रस्तुत रास में गेयता है वस्तु प्रवाह के साथ गेयता का मिश्रण राम का सौन्दर्य और ब.टा देता है। भरतेश्वर बाहुबली रास विविध रागों में बंधा अतः यह अनेक प्रकार से गाया जा सकता है। अधिक विस्तार में होने से अमवा विकता संभव है, परन्तु इसके प्रवार को देश विसी पी बीर के पुगदंड कडक उठगे। परतेश्वर बाहुबली राम भाषा,रस संजना, अलंकार योजना और छंद योजना मादि की दृष्टिसे भी पर्याप्त महत्व की कृति है। भाग विचार भरतेश्वर बाहुबली राम की भामा देसिल बयना सब जन मिदा उक्ति की सार्थकता सिद्ध करती है। पापा का सब्द चयन ध्वन्यात्मक, और अनुप्रासात्मक है। : काव्य की नादात्मकता स्पष्ट है। शब्द बैश एक ही सच में ले है। पुरानी गुजराती और पुरानी रावस्थानी दोनों ही विभाषाएं इसेअपना काम करती परन्तु अधिकार पद राजस्थानी गे है। साथ ही अपभ्रंश केपरवर्ती मो का भी प्रभाव माषा का कुछ परिचय इस प्रकार है:उत्तर अपाय: रिसम, जिणेसर, नयर, परह पर्वड, बक, रमण, गयबर, आदि। दियाएं बिग्लिीय, मिल्लीय, बल्लीय, उत्तीय, के साथ धूवीय,बालीय, भावीय, बलिय जादि म सरल राजस्थानी । राजस्की बनी बरामी गल, परवस,गोरी,र, नाव पूवीय, माड, गया, पण बडवर्डस, पटवडा, मत, भात, निडाम, काम, माप, बेली मित, रि, सों, मपी, गगी, जिवबा, कार, बाल, आ. परिवा, माविमा क्रियाओं पुरा यी नामिषि, मारवंड, बंधवा, पपिण, रासावित स्वामी राम, रा. निगर, पंड ना माबि ब मजाक सारस बात पर बाकी भाषा मरयोग भी मार अपस्कार ।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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