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संवाद बड़े प्रभावशाली और सरस है।यथा प्रतिसागर भरतेश्वर-संवाद, दूत बाहुबली-संवाद आदि इन संवादों में एक नाटकीय योजना, गेयता, दर्प तथा उत्साह है। कविवे इनके द्वारा काव्य में अभिनय भगिमा का समावेश किया है। दोनों लापों के उदाहरण देखिए(१) मतिसागर किमि का चक्क न परि प्रवेस करा
ईचि महारइ रानि धरि धरीय धारिपुर (प्रश्न) बोला मैत्रि भयकु, सभमति सामीयाकघर
नवि मानइ ब आप बाहुबलि विहं बाहुबले
तिणि कारणि नर देव । अक्क न मावइ नीय नियरे (उत्तर) इसी प्रकार त बाहुबति का संलाप उल्लेखनीय है:दूत:- दूत मभणइ इस पमणइ बाहुबलि राउ
परदेसर चक्क धेरु कहि न क्यामि इडवण कीया
बेगि मुवेगि मोड माहि बावति' (प्रम) विम बंधन वि संवा मी नि मिसन योर मनी
इस कि उत्त र मिनि माट गो मार और इसके यह कहने पर किलो पावर की बीमा स्वीकार करो, नहीं हो का नारा बच करेमा. नाली का असर हो ।
-परतावर बाकी रानी गाणी,..८ पद
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