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का निर्णय से जायावचन युद्ध, दृष्टियुद्ध (नेत्र युध) और एन्ड युद्ध निश्चित हुए और तीनों में अब बाहुबली विजयी हुए तो परत ने वध होकर उन पर मयादा तोड़ कर चक्ररत्न चला दिया। यद्यपि इससे उनकी कुछ हानि नहीं हुई पर में चक्रवर्ती के इस व्यवहार से बहुत उब्ध हुए और उन्हें विरक्ति हो गई। उन्होंने दीया प्राण कर ली। युध बीर को निर्वेद हो गया।राज्यत्री उम्में तुन्छ जान पड़ी। ववर्ती भरत मे उनके सरपों में प्रस्तक टेक कर अमर्यादित अन्य क्या भूल को स्वीकार कर क्षमा याचना की। पर बाहुबली को तो निर्वेद ने अपना लिया था।अनेक वर्षों तक तपकर वे कैवल्य मानी हो गए। भरत ने भी धूम धाम से नगर में प्रवेश किया । उत्सव हुए नगर बोरण सजाए गए। आयुधशाला में आकर चरत्न पी शान्त हुआ और चतुर्दिक मरतेश्वर का या T गया।
रास की क्या यही है। रचना मेक बंधों में लिखी गई है और कुल मिलकर २०५ छन्दों में पूरी क्या समाप्त हुई है। प्रबंध परम्परा का यह एक महत्व पूर्ण र काम्य है। सं० १२४१ का यह रास अन्य उपलब्ध अनेक जैन हिन्दी रासों में सबसे बड़ा है। इसके बाद इतनी बड़ी रास रचना १५वीं शताब्दी के उत्तराईध
ही मिलती है यह प्राप्त कृतियों के स्पष्ट होता है। बस्तु १. बाँके Pune ) के इसमे बड़े काल की साहित्यिक प्रवृत्तियों, पाश पर्व बाबी का प्रतिनिधि वा बझाराप ITags प्रबंध की रखमा भार वर्ग वा पर्व माथि विमान में काम को परम्पराकी भागों
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