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वर्गीकरण-काव्य सढ़िया- क्या दिया अनुवतिबद्ध परंपरा-काल्पनिक कड़ियांविविध सदिया- काव्य दिया- अंगलाबरक- सरस्वती वंदन- जिनवंदन- कवि अन्य परिचय- प्रारम्भ में सल निदा पाए पुलों की प्रशंसा- अन्त में कवि पदो की नाम की
प- इन अभिप्रायों का प्रयोग- काव्य कड़ियों का उपयोगिता. कामा सदियों की परंपरा- काव्य रुड़ियों का परीक्षण काव्य कड़ियो- रूपविधान सम्बन्धी. विविध वर्णन सम्बन्धी सामाजिक परंपराओं सम्बन्धी अविप्राकृतिक सत्वों से युक्तइन इड़ियों का विश्लेषण-अनुभुतिबद्धक्या दिया- काल्पनिक- विविध कड़िया- हिन्दी जैन साहित्य में उपलबध उक्त सभी सदियों का विश्लेषण- निष्कर्ष-1(पृ. ६३-६६२)
अध्याय-"
आविकालीन हिन्दी जैन साहित्य में प्रयुक्त छद TorpiTTTFVFF TIVITTYVO V W
बन रनामों में से प्रकार के मार-मात्रिक और वार्षिक हार -बाल और वर्ण का महत्व मात्रिक और बाल वृत्तों में संगीत का समाव-वर्ष grत और प्रयुक्त मपरगण-अपर प्रन्यो इन दो का विश्लेषन -माणिालीन हिन्दी जैन रचनाओं में प्रयुक्त विपिन च औरउनका वर्गीकरण-प्रक्स - (५ ) इनका वर्गीकरण-मात्रिक- वर्णिक क्या देखी-वती (कुछ १५)-देशी
द-देवी छन्दों का शिल्प-सालवत तथा संगीत-विविध रागों-स्थानमें विविध जातो का उपयोग-देवीदों की परम्परा का उद्भव और विकासविविध देशी डालें और उनका छन्दों में प्रयोग-परतेश्वर बाहुबली रासइविधरा-वीराम, पेय तथा की रास- समरा रास- पंच पाय भरित बार इनमें प्रयुक्त रास का रासक पद बस्तु-कोटक मा घटक-सरस्वती पा-वोडा-चौपाई बोरग-परणाकुल-देखी बंध-विभिन्न म्यपियों में प्रयुक्त-रोबासलादी -बमा
-विधीगड