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भरि राषा भीर धौ का परि जौहर बााब्लूि डरा जिका वास मी दूई व त्या म्हे पूरी करि दिखानापूरी हुई एवं त्या पुनरे पि बाहडि मानो बस बिंडा व तिमी कारण छरितुवमें गड मानल भाषण मन यहि बसाइ मोलि राजा अबलेसवर का राज होक इत्यो भाइ मरण बाली रसाळाई वीनै पुस नइ इ किन्ता क्या काम बिसा।
राजा अगल दास की जौहर करने की बताई गई उक्त समियिान्त्रित किया गया। भयंकर युद्ध में भी राजपूतों के मारी अबलदास वीरगति को प्राप्त रानियों में जौहर के में कूद कर अपने आत्मसम्मान की खा की। पारा सी के मरने ही समस्त अन्त:पुर में बोका गया। वर्मन की बरतता देखिए:
• मुख माउ नीमख नदीम नीसा इव मज घटान फूटै पामा पावल बाइपारी धीरउ कहा रामामोकली पापि गयो बोल्यों न जागी हो ही रहयो। न जापा मावळ पाडल्या रिक्यौ ही उही पीर मरे इही पारसी परीक्षाको परीछ राजा बलेवर को भाई हो सबरी रही हमारी नारी र रामा असर पार हो सबरी हमारीमाली
परीक्षा मार भोक महाराज ताबड बाई का भोग · की काया अब की बा। यह वाईवा पाईरामा मोलकी वारण।
सकत ही परिवार है कि पार पारसी परीछानी परी नहीं मबार।। पापसीपी बहाली की माली हा पाणी पात्यो साप हावीरी गnिta-Lal है और राम युदध का समाहार जौहर में जाकर मना है। कषि मे मय गौरवमयी प्रस्तुत किया म उरतो इबारा रखना को मामिला, बागरिया, न बोक्न बालसा एवं चार मिया पर होगी सीमेक बाब म्मा और निका