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संज्ञक कृतियां राजस्थान के भंडारों में अनेकों उपलब्ध होती है। १५वीं शताब्दी के अन्तिम दशक में यह वचनिका जैमेवर गम की अप्रकाशित एवं प्रतिनिधि रचना है।
निष्कर्ष:- आदिकालीन इन अजैन रचनाओं के अध्ययन से यह कहा जा सकता है कि ये उपलब्ध रचनाएं काव्य तथा मय दोनों की दृष्टि से बहुत ही सम्पन्न है। प्रवन्ध कल्पना, गवय काव्य की स्वहनीयता, भाषा की सरलता, चरित्र चित्रण, अर्थ गांभीय, वर्मन सौष्ठव, प्रासादिकता काव्यात्मकता तथा रसात्मकता आदि सभी दृष्टियों से मे काव्य अत्यन्त महत्वपूर्ण है। यद्यपि आदिकालीन जैनेवर काव्य और मध्य रचनाएं संख्या में वह है, परन्तु फिर भी भाव और कला दोनों पों में जैन रचनाओं से भी अधिक सम्पन्न है। इनकी सम्म बोध बत्यावश्यक | एक आवश्यक बात यह भी है कि वे रचना साम्प्रदायिकता से भी अलग है। से अजैन कृतियां बुद्ध बाहित्यिक संस्थ की दृष्टि से लिखी गई है। इस प्रकार ब्रज, अवधी, मैथिली, प्राचीन, राजस्थान, जूमी गुजराती और ब्रज के पंडारों की सम्यक् शोध होने पर इस आदिकालीन अनैन साहित्य के और भी ग्रन्थ मिलेगे, ऐसी मात्रा है।