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माता पुरी का बम्वति लखम राब पारिताप उती का बेड़ा देवसीड मारिमा। बूंदी का चक्रवर्ती संग्रा सारिका अवर देवड़ा जिन्दू राय बंदि छोड़ इसरा माल दे समरजीह सारिमा (२०-२० (a) इस हिंदू राजा उपकति काम है कि मनि पालिसा की रिपवारी करन का माथा व विसीम है दई छी ।उण की माइ विवानी का सामस रहइ अणी पाणी आज 7 मोम सानल कान्हड़ दे महीं तिला सुपरिता मडिल तु महीं,सीह उरिर नसू नहीं।ठ का राब हमीर आधाभ्यो (७) अचलेश्वर के ऐश्वर्य का वर्णन करने में कवि विल्कुल नहीं अधाता। दूर दूर के प्रदेशों में उसका यक्ष प्रसारित हैजसकी बजा तुलना में कोई दूसरा राजा टिक्ता ही नहीं। अक्लेस की भाति तो अचलेस ही है। ऐसे अचलेश्वर को धन्यवाद । जिसने माडू के बादशाह भयंकर लोहा लिया।वर्षन की सरलता और प्रबार. उल्लेखनीय है। लेखक की आलंकारिकवा विक्रम को और अधिक सक बना देती है:
• पनि पनि हो राजा अचलेसर थारउ जी माणिपि पातमा मसार लीयौ। तेषी पातमा आयातरि सत पE नहीं. बाड नहीं ही न मादापामार सैषित न होइ तर वे राजा अचलेवर मारिखा अब ने बरसेवा की होई।। यस बरस किन र वान पूरब पनि लाडामाया अब पाल नगरि राव इसर पकि बीपरत बोलावरम मानव पा का आधार का बकरववियन पनि हो रामा गोबर भारत जीवी विषि पासा र बालीवी1) बादशाहका का बरोबर की मेना पर टूट पड़ावन नवा दिशाएं डोने लगी। बरडसनी गर्दा पूर्व के बम पी दुर्लभ हो गए। न हाथियों का पार न बोड़ों का उत्मा और प्रवाह देखिर:
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क राटक बंध अचलेसवर मरि लूटाबाट गरम ईथम बूटाादा का पापी हा परवा शिरि लामा, जाट बाबा। भर मासि भागावर वर पाइक किन पारावारमोरी राव गिर . भारत का पहाडाचे पावह ग स्टक बंध हाइको मात