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________________ महापान, वस्त्र, ज्पतिक अभिषेक, यूत वैश्या, कटनी, कापावस्था,आखट रस क्न, सरोवर वर्णनों के विविध 'चिम सीचे है। इस गद्य की भाषा मैथिली है जिसकी काव्यात्मकता और भाषा बम सबलता दृष्टव्य है।ब्द चयन मरल सुन्दर और पर्याप्त प्रभावशाली है। रचना का विभाजन लेखक ने कालोम शब्द से किया है और प्रत्येक वर्णन के नीचे उसका नाप्ति सूचक सूत्र खिा है। __ मैथिली भाषा की इस रबमा के समक्ष रखी जाने वाली काव्यात्मक मध्य की अझ्यावधि जो जैन रचनाएं उपलब्ध हुई है उनमें सबसे महत्वपूर्ण रना पश्वीन्द्र चरित है जिसका गद्य वर्गरत्नाकर की भाति वक्त है।मासंकारिक शुक्मा, उपमानों की माला, तथा उत्पादों की छटा देखकर कोई भी ग्यक्ति प्रवीचन्द्र चरित की काव्यात्मकता का लोहा मान सकता है। वस्तुतः ये दोन रचनापं समान सो गद्य काव्य की सुषमा में योग प्रदान करती है।' मद्य काम हैली में लिखी एक अन्य लो कि मन रबमा गन्म दे प्रबन्ध मिलती हैारमा की स्वालिखित प्रसि राजस्थान पुरात्व मविर कपुर में पुरवित है।कानड़ दे प्रध के रयिता कवि माना है यह पूरा न प्रबन्ध प्राचीन राजस्थानी में लिखा एक सरस भागव्य है कि परम पूर्व में वि-वार कर चुके है पूरा मन्ध कवि ने पदय में ही लिया पर गौर बीच में महा गाब की पी लिया गया है।इस रचना र काभ्यायाम का प्रयोग मिला है। प्रस्तुब महाकाव्य कवि ने ही जहा मय का न मिया उसकी कलात्मकता - पिक विस्वारसियदेम प्रसाद अध्यबामदनकायका रहनावका एवं प्रेरक मनाहियोक अंश। थंबीररितविष विवरण के लिए देसिप प्रस्तुत ग्रन्थ अध्याय इस रसनाविपरिचय केमिय देशिय प्रस्तुत पन्ध अध्यायका निर हाकिका संबंधी अंश।
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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