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लेखक ने गस्य उसे भावों का शक सूक्ष्म चित्र प्रस्तुत किया है। मझ्य का वन प्रासादिक है। वर्मन की बाकारिकता रचना के समक्त गदय का स्वरूप प्रस्तुत करती हैायिका के हास्य वर्णन के एक उदाहरण में कवि का वर्णन प्रवाह और अनुप्रसात्मकता देखिए:
कुमुद कुन्द कादम्ब कास पास मैलास, कप्पू पीयूषक कानि(कान्ति) प्रसारीसन तीर समुद्रक दक्षिणानिले चाललतरंग धनक लहरी भरुन अमृतक सरोवर तरंगक सहोदर सन शरतक पूर्णिमा वाम्बक ज्योत्सना भइसम अभिनव प्रकशित कमल कोष प्रसारि शोभा सन कन्दपक दर्प प्रकाशन सन लोक्य नारजन गुवजन हृदय मोहन मन्त्रसन, स्वेद । स्तम्भ रोमाञ्च स्वर भंग कंप्य वैवयं अप्रलय इये आम्बो सात्विक भाव ताक मंडारसन संयमित योगिजनक मन निधान मन पावलं
उन्मादन प्रक्षोमन संयोजन सम्मोहन इथे। इन वर्षों के साथ ही साथ सेक्षक ने प्रभात मध्यान्ह त्या च्या कापी मनोहारी वर्णन किया लेक का प्रासादिक वर्णन उसकी वम प्रतिभा और सूखम हुष्टि का परिणाम है। ध्या वन का पक ग्वारन होगा:
मादित्य बारकाि सवाल अम परति पकत्वमा गनिमार मार करीमा मादित्यो भने मापक कार
का सर पर का संचार मोक मबार रक कोठा महगन बीमा योरोत्रियानिक प्रामामान नबोडाम विसोबा हम पर (क) संकोच, प्रवरक उपम, प्राविका मिश्रा योरिंग कौकिक अवार, गोमाजक बोत अवनिक ना अमन अमिताभ, मोगीजनक डिवतीय भोजका उदय,
पोषाक बनोवास सम्पूर्णता प्रभृति मन्यया दे' इसी प्रकार में वर्षा कार स्वमा, के, मात, रव गादि के कान मौलिक उपमान सुन कर सिरिरमों के धन को सम्मबाप का, ल..
दोसरबत्त्यावर ताशार बटबी.