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त अवेर उठिसी मंग जागे जामि आपणा सुवर अजीत माहे माहे मलपती कुल बहुवां दीसे केवल उगा किरि आदीव
(१०१-१०५)
से बाली तिथि ठाहि, आइसि अबलेसर
aff सिव सिनकरे, पइसै पावक माहि छूट न जाई होहि माड़े जहर
बाइ बाइ चडै उतावली पटरानी पागेकि
हर गइ जति बाह इसइ तेजि पैसे अवल
पहिली थी रहि मछली पग पकि पडावे नाह (१०६-१०८)
10
जहर जालन हार अमर बलइ ताइ उवरे
हरि हरि हरि होई रह्यौ विसन विसम विनिवार
हवि न पारावार गढ अनिये गावा मा
सुर तेतीस समघर नि दनियर हार
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छोडि जामोलकि परि बाव
जोहार मा
जातियो,
मी माधौ लोहि
(११०-11)
डोम वीर बिग जौहर बाडिय
aft देव बाबा मादिगा
मत बिहर विरि विधिठिवासी मोवाइज क्ल िकार िकार पर कालासी
(१२१)
अन्त में कवि ने अदा की कीर्ति को जल कर काव्य की समाप्ति की है