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________________ १८६ त अवेर उठिसी मंग जागे जामि आपणा सुवर अजीत माहे माहे मलपती कुल बहुवां दीसे केवल उगा किरि आदीव (१०१-१०५) से बाली तिथि ठाहि, आइसि अबलेसर aff सिव सिनकरे, पइसै पावक माहि छूट न जाई होहि माड़े जहर बाइ बाइ चडै उतावली पटरानी पागेकि हर गइ जति बाह इसइ तेजि पैसे अवल पहिली थी रहि मछली पग पकि पडावे नाह (१०६-१०८) 10 जहर जालन हार अमर बलइ ताइ उवरे हरि हरि हरि होई रह्यौ विसन विसम विनिवार हवि न पारावार गढ अनिये गावा मा सुर तेतीस समघर नि दनियर हार ster छोडि जामोलकि परि बाव जोहार मा जातियो, मी माधौ लोहि (११०-11) डोम वीर बिग जौहर बाडिय aft देव बाबा मादिगा मत बिहर विरि विधिठिवासी मोवाइज क्ल िकार िकार पर कालासी (१२१) अन्त में कवि ने अदा की कीर्ति को जल कर काव्य की समाप्ति की है
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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