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लीधा बलि लागी करी माझ्या लमि सहि दास देखे जवपपुरत ज्यों न्यौ करइ, सिड कलालक मार तमी पटउलइ मावि कबही न पढ़ा काबला सरि गोरी राब क्यों मरह जीड बातिन पाति साहन लावण सार पैदल पार न मामियै गुडियै गोरी राव कहि मैमत सबक अपार अबले सवर अपार दल सरियो दाबी लंका लेवण हार काइमोरी राव गापुरम आलम व जागाह विवै की विधि अवलेसर गढ बबछडे जीव के पोकलिया का सूबर दिशि नामि मि कादवा विति
अचल बड़े बालन सरिस अत आपठन शापि (३२-1) यही नहीं से मुझ की लाज लोप न बाब इसलिए सीची कुलके भी सूरमा उत्साह में चूर होकर प्रतिज्ञाएं कर रहे थे। साथ ही अन्य सहयोगी राब उमराब अपने सहयोग को विभिन्न वीरतामूलक रक्तियों द्वारा स्पष्ट कर रोमाई भाई को छोड़कर चला और बेटा बाप को छोड़कर चले वर कटक को लेकर भागे है। वन में पाया प्राधान्य और भारत की ममत्कार
मानवीची पीक, मह की महतीवरी महापराकी बीपवई विजय से खरी नाव, छायोपि कोखबर प्यामिली पोचाव पाव । (-५)
गक बर माही की हो शारीरको बीमा मा र पडियाक बोल बाइति बागडनि मालिका पीरबा विमा मा