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________________ १८० और एक कुंडलिया छेद में नृसिंह दास के कटक का वर्णन किया है। एक ही बन निवास करने वाले पुगेन्द्र और हाथी के वीर्य की पारस्परिक मला क्या तुलना? हाथी तो लिकर गली गली घूमता है पर क्या सिंह को इस पोल कभी कोई खरीद सकेगा? " अथ दूहा एक कुन्डलिया एक १. जेक वनि वसंतड़ा एक्ड़ अन्तर काइ सीह कवडी न लहे वर ठाक्षि विकrs गैवर गलइ गल थियो जड़ से तह बाइ सीह गलबन जे यह तर वह लf विकrs दह लति विकrs मोल जाण विमुह मेरा वालिन केरा ager कारण कचिन कोपि पेटि की पडियारनि इति कटारउ दुहुन राइ न ग्रहण नरसंच गड गल ज गैवर (१७-१९) दूध में बीबी परिवार के समस्त सिंह आजुडे, जासपास केराजा मी स्वामी पर आई इस आपत्ति को ब्रहम करने को तैयार नहीं ये तीनों के तब भाई के राजाओं ने जाकर जुड़वाये। हम्मीर की भांति स्थल को चित किया।समस्त सैनिक अभय थे। एक दिवा है बर पढ माया और दूसरी दिशा से मानो सम्पूर्ण ही परिवार की सन के अति कर दिया गया हो बलपर के शामी वैनिकों का वर्णन कवि में बहुत ही सजीव तथा सरव किया है: मन का अदा से डर भावना यह काम महति का मा होइ गरम हुने मठ मेहिब बालेर इड मत सह कोइ वड मरवाई माथ ले जा लंकाल गइ चाही नाही व बजि बोरी राम या इरम मोड लिमिट की
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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