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________________ कवि सरस्वती को मीत नाद, गुण युति तथा कवियों की दीप्त करने वाली कहता है बमा उसी की पाये इस कथा का गन्ध म निबंधन करना चाहता है: अथ माहा. वास गये नमो बलमाइ बेषा पुसिकक धारणीकासमीर परिवसंत्री गीच नाद गुग मार दियम, देम कवियन विवंती साचार बामनि संभरी पाठ थ अपार सूरत राम अकल कर सादाम सिकार (0) अचल दास की कथा ने कवि के काम में सोना और सुनंधि गुण को साकार कर दिया है ऐसा कवि शिवदास का कहना है। गुणियों में श्रेष्ठ अचलदास ही शिवदास बारव कधि का पन्चान्याक्न कर सकता है। खनाकार ने शिव सिंह के मात्र यदाय से शुद्ध करने वाले पाद के बादशाह की ना का प्रारम्भ ही में वर्णन खिा हैम वर्ष में प्रासादिकता और प्रवाह का सफल समन्वय देसिप: बाड़ा गत्तर दक्षिण देख पूरब नै पहिमाल बडिया - दनि टा, पिया मठ बरेश पर बाइकार पर प्रति बाण पनि राइस पर चार है न पायामा पारसी बाग मडगाव म यो को पूरा किया पर सनी ---- नारी दिवे मेगा पाप पुs (e-m मानाविन्दु राजानों के कापी और स HT सवा द्रावधान शि दासका स्टक की बनी कवि मैग्माण किया कि
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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