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________________ १७५ (२) बीज न देश कहडिडयां प्री परदेश गयांह भाषण लीय पकडा, गलि लाभी मारा।।१५।। बीलिया पारोकिन नीठ व नीगभियांक अबइ न भजन माडे, बलि पाशी बलियां।।१५।। ___ वडिल: आप वल्लहा नागर बतुर पुजाम तुम विण धण विलक्षी कि विनलाल कमा||१५५।। डियदा भीतर पाति करि, गइ मज्जण स नित सूकई मितपल्हवा निव नित मवला ||१८|| अवध कहानी प्रेग की कि कही न बाई गंगा का अपना पण सुमर पुपर पिल्या ५९॥ प्रीवा, बोराकारमा प्रामबाणी हियड़ा भीतर प्रिय असा काही र पा to माडिया वर हुई, भया गमाया रोय से पाय" परदेशमाई रपया बिटामा होय।।।५।। जामी माह मोली, र बसा अगावि ज्या बोडी का मि बायोसीस बात (१) सी नाबाल lam बाल गोपी NिIT त्यो (1) रंगर-मेरा ना. मोगरा पावा का मामला, Tamel (Vा र परिभर, लिगाम nिyms (1) काली पारी मिल पसी INAL करीपार गाव पोषe any
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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