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(२) बीज न देश कहडिडयां प्री परदेश गयांह
भाषण लीय पकडा, गलि लाभी मारा।।१५।। बीलिया पारोकिन नीठ व नीगभियांक
अबइ न भजन माडे, बलि पाशी बलियां।।१५।। ___ वडिल: आप वल्लहा नागर बतुर पुजाम
तुम विण धण विलक्षी कि विनलाल कमा||१५५।। डियदा भीतर पाति करि, गइ मज्जण स नित सूकई मितपल्हवा निव नित मवला ||१८|| अवध कहानी प्रेग की कि कही न बाई गंगा का अपना पण सुमर पुपर पिल्या ५९॥ प्रीवा, बोराकारमा प्रामबाणी
हियड़ा भीतर प्रिय असा काही र पा to माडिया वर हुई, भया गमाया रोय
से पाय" परदेशमाई रपया बिटामा होय।।।५।। जामी माह मोली, र बसा अगावि
ज्या बोडी का मि बायोसीस बात (१) सी नाबाल lam
बाल गोपी NिIT त्यो (1) रंगर-मेरा ना. मोगरा
पावा का मामला, Tamel (Vा र परिभर, लिगाम
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