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(स) हरित काव्य, वरित संज्ञक रचनाओं का विश्लपण-वरित अन्थों की परम्परा- क्या चरित काव्य व्य है। चरित मूलक काव्यों का विशिष्ट शिल्प क्या है। बरित काव्यों के गुप- प्रमुख चरित संशक ग्रन्थ औरउनका साहित्यिक विश्लेषण- जम्बू स्वामी चरित अन्तर्कथाएं- प्रद्युम्न चरित- प्रति कवि एवं रचनाकाल परिचय- काव्य परीक्षण- क्यासार. भार पक्ष और क्ला पर रस छंद मकार विविध वर्णन अति प्राकृतिक वर्णन- था परम्पराएं और अवान्तर घटनाएं -निष्कर्ष मिश्वर परिव- विराट पर्व- आदिनाथ पुराण - निष्कर्ष(ग) विवाइलो काम्या परम्परा और विश्लेषण- परम्परा. ऐतिहासिक विवाइले- रुपक काव्य-प्रमुख कृतिया-जिनेश्वर सूरि विवाहलो-जिनोदय मूरि विवाहला- नेमिनाथ विवाहला-मिनबन्दसूरि विवाहला-सुपति साधु पूरि वीवाहल (1) पवाहो काव्या विश्लेषय-रचयिता लोक आख्यानक गीतचरित काव्य- विद्याविलास पगाड़ी और उसका साहित्यिक मूल्बान ( संधिकाम, परम्परा और विश्लेषण- संधिकाठम-परम्परा-अपर संधि- वर्भब विषय अन्तरंग सन्धि-सपस निध-उपदेश सन्धि पावना सन्धिकेवी गौतम सन्धि- विश्लेषण और निम्कर्ष- (च) करमाका काव्य पातुका: मानी मक्क भातका का शिल्प- परम्परा तक रसारमातृका प्रथमावर दोहाः सम्यकत्वमाइ कापड, माका सपा-बेगमाकासालिम सक - दूहा माका- कावधि उपइ-अटापद तीर्थ बानी. निका-10217-७२६,
माविकालीन हिन्दी कैन साहित्य(२) गोषकाव्य परम्पराएं
मौष गव्य स्म:- र प्रधान तथा बिय प्रधान- Ocान-दोपाका- दोग बारमरीदोग- पाया कहा