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________________ ९ नेमिनाथ फागु - देवरत्न सूरि फाग-रंगसागर नेमि फाग-नारी निरास फागुसुरंगाधिप नेमिफाग- निष्कर्ष- (ख) चर पई संज्ञक रचनाएं और उनका अनुशीलन- नेमिनाथ चउपइ- नेमिनाथ वृत्त पर उपलब्ध ग्रन्थ- थ का रचनाकाल कथा - उपs संज्ञक रचनाओं की परम्परा- पूर्व प्रचलित मतों पर विचारनेमिनाथ चतुष्पदिका एक बारहमासा काव्य-नारहमासा और उसकी परंपरा पर विचार- रचना का साहित्यिक विश्लेषण- सुभद्रासती चतुष्पदिका मातृका चउपई- सम्यकत्व माइ चउपड़- मंगल कलस बउपर- जिनदत्त चउपई प्रतिपरिचय काल निर्धारण कवि परिचय- कथा प्रधान कृति- कथा-प्रबन्ध काव्य के लक्षण और परीक्षण- विविध वर्णन नखशिख - प्रकृति वर्मन कवि की बहुशस्ताछंद- रस- भाषा- निष्कर्ष पद्मावती चौधई-ज्ञान पंचमी बौपई-चिरंगति चौपाईनिष्कर्ष - (4) बरी- काव्यः परम्परा उद्भव और विकास, चर्जरी संशक रचनाओं की परम्परा परिचय-संस्कृत प्राकृत औरमपत्र में वर्वरी के अर्थवरी के प्राचीनता चार उल्लेख- वर्चरी सम्बन्धी सहायक ग्रन्थों में उपलध प्रमाण- अपप्रेश काव्यत्रयी, कुवलयमाला था तथा विभिन्न कोश अन्थों में चर्चरी के अर्थ विविध अर्थ वर्चरी एक छन्द विशेष- संदेश रासक, ढोला मारू रा दोहा, संदेश रासक- स्वयं छन्- कुमारपाल प्रतिबोध- हिन्दी भाषा कोव पुरानी, हिन्दी- कबीर जायसी तुलसी आदि में करी के रूपपुरातन प्रबन्ध संग्रह और वस्तुपाल प्रबन्ध में प्रयुक्त बर्जरी संसारं चर्चरी केविन अर्थ वर्जरी के शिल्प सम्बन्धी आवश्यक निर्देश लोकप्रिय गानउल्लास प्रधानलोक गीत राजस्थान में चर्जरी का स्वरूप+ चांचर, वर्चेर का उल्लेख निष्कर्ष कारी संरचनाएं और उनुका परिचय- सोलणकृत वर्चरीबारी-साहित्यिक परिचय निष्कर्ष-- (क) प्रबन्ध संशक काव्य प्रबन्ध कायों की परम्परा-मुक्तक और प्रबन्ध रूप में-प्रबन्ध काव्यों के प्रमुख प्रबन्ध काव्य त्रिपूजन दीपक प्रबन्ध और मरतेश्वर बाहुनी प्रबन्धप्रवर्धन सेठ ही प्रबन्ध और उसका परिचक- त्रिभुवनदीच प्रयन्ध और क काव्यों की परम्परा काव्यों के व्यापक विश्लेषण
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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