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चामर
कैति वि जे जुडंति ते तुरंग आणय
जे सुद्ध वित्त साहित्य वामित
पाया लहंति फीकी मयड होमदीउ आसणो
पद चाल
चिह्न दिसि बामर ढल ए सिरवरि ए सोइ छात्र
विप्र वैउनि उच्चरs प बाबा जगलि ए नानाविध पात्र
बहु बंदिष कलरव करइ ए
चाभर
करिति सारसी गईद डि डि र
there are creatउ छूज ताब अंबर
उचित्त वा दिवि राज बेगि साब रह करो
प्रेम सुदयवच्छवीर पत्त तोरणड वरो
बाबर
पद चाल...
गय गामिव गुण विन्नवद ए आभाव मुदी प करइ सिणगार हार पकाउति उरि वह आज के समय कुमार अदि नारदवरो (३३०)
नरिदं ईद मोडतोय रि अदि विक मानिनि मनमो
(९४-९६)
verted पाय मा
ते सुवीरकम (१) मन
(९९)
१- देखिए वर्ष १५ ३० १३०-११५/
(२०१) १
कवि ने
कारी वर्णन किया है। सबहिंगा के वरीर के विविध उपमान उसके कार्य कार्यों द्वारा उसकी होगा दिवगुति कर देते हैं।