________________
१६३
है अतः वह चैव रहा होगा। कवि ने चार स्थल का उल्लेख भी किया है जो पाटण का है, अतः सम्भव है वह पाटण का निवासी रहा हो।
सदयवत्स चरित एक आदिकालीन सुन्दर अजैन प्रबन्ध है जिसमें कवि ने वीर वथा अद्भुत रस को ही प्रमुख स्थान दिया है। श्रृंगार उसमें गौम रूप में हैं। यो सामान्यतः दो कवि ने नव रसों के वर्णन का कृति में उल्लेख किया है:
सिंगार हास करुना इदो वीरो ध्यान वीमत्थो
अद्भुत व नवइ रसि पि हृदयवच्छस्स 11401
कवि भीम ने रचना में विविध रागों की देवी ढालों के प्रयोग के साथ बंद वैविध्य प्रस्तुत किया है तथा विभिन्न दोहों, पवृध छप्पय वस्तु, कुंडलियाँ मौक्तिदान आदि मात्रावृत्ती में कुल ६०३ कड़ियों में काव्य पूरा किया है। छंदों का यह वैविध्य रचना की काव्य शैली और वर्णन की प्रासादिकता स्पष्ट करता है। कुछ उदाहरण भाषा शैली लोक आस्थान मूलक बस्तु तथा छंदों के वैविध्य के लिए पावर और बालू पद के देखे जा सकते हैं।
(१)
(2)
चामर
कति बंदिणा अनि कक मंगलिक्क मायूँ
विचित निटित पत्र पाउारंग वरवं
बडी इरंगी बंदंड बैग बार वंरी रसे
ति वालवति नारि व्यादि भावरंचि विधे
म बान
वरति बिरह प बाजा राम से एरिक राज पावल पार न पानी प बाबा महीना र भीबार पार हव दीवर नवरा (१७-१८)
राम वासी
(३) माम मरवर तरल रंग
ग्रामपति पढ़नापि पठान पर्वग
जीवा मराठा