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तिल मोषम ना रे लाकरे लीगइ भूति किसलय कोमल पामिरे पाणि रे बोल मंजीठि बाहुलता अति कोमल कमल भूमाल समान जीपइ उदरि पंचानन बामन नहीं उपभानु कुवि अमीय लापनि पानि तणीय अनंग नीऊ रापण किहा कि धवल भुजंग नामिपि कई न पयोषी योधर पुर समामि कंचुक त्या सलाहुरे नाहु महामु मामि मामि गंभीर सरोबर उमरि भिवति तरंग अपन समेत पीवर वीकर बहिरिणि बंग मियम पण विधि को बड़ी बापड़ी उपम न जाइ करि कैम्प पर मेयर र माडी माई (६०-६८)
जनावम्बचाई इस प्रकार इन काव्यात्मक वनों के आधार पर प्रस्तुत काव्य की अमिमा इस का अनुमान लगाया जासकता है। वसंस बिलास फागु मधुमास का गेय एवं उन्कार प्रधान मानी जिसमें कवि ने वी के मधुर एवं मोडक काव्यात्मक चित्र प्रस्तुत किए है। म न कवियों में बम विकास का महल काव्य की द्रष्टि से आमेश है।
बडा की शारीरि रानी दीका बास्यान के उपलक होने वाली en : सिराकार पीपा पाने की क कवि का जन्म स्थान, आदिवासी गणना की व्याधि का उपचार कवि ने पुरानी
सम्भव है कि बा गुजराती होगा अथवा राबताना मानों इवारा भी माना TO बाबा कवि भानी होगी विकाtt
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