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________________ १५१ के पतियों का प्रवास अंगों की कड़कन धड़कन और परेशानी, शकुन वर्णन, वायस " से नेह और इस पर वर्तत्री का आगमन, रितुराज के साथी मार और उसका सम्मोहन कोयल की कूक, आन मंजरियों का बौराना नायिकाओं की विरह तथा पीड़ाजन्य स्थिति आदि लगभग सभी चित्र प्रस्तुत काव्य की अनुप्रासबद्ध शैली का अनूठा स्वरूप प्रस्तुत करते है। वर्णन की आलंकारिकता और स्पृहणीय शैली अत्यन्त प्रभावपूर्ण है। कवि का एक एक शब्द अत्यन्त सार्थक तथा गेय है। अजैन कृतियों का अध्यन करने पर यह सरलता से जाना जा सकता है कि जैन कृतियों की तुलना में काव्यात्मकता और अन्य शिल्प जन्य विशेषताओं में वे किसी भी प्रकार कम नहीं है। कदाचित अधिक ही है। काव्यात्मक उद्धरण देखिए: कामुक जनमत जीवन तीवन नगर सुरंग राज कर अवगहि रंगिति राउ अनु शी रमई पनि हरिसीय परिक्षीय निज परवारि ates से गणगमणीय नमणीय कुछ भरी पारि (४५०५१) साथ ही बस का अपने मित्र कामदेव के साथ सज धज कर आगमन, और ऐसे समय में नारियों के मंगों से उड़ती हुई जीवन की मादकगंध से प्रामों का व्याकुल हो जमा, कवि को पेवी नारियों के वित वर्णन प्रत करने को बाध्य कर देता है। कवि ने विविध उपमानों के एक से एक प्रस्तुत किए है।की कोकान्त पदावली, रखात्मकता और कुछ प्रमाद रथवर मग चढ़ा है। कुछ fat fast : कर डीई कुवि मुनि सारा कि सुरमनि कि कुंड गंडक ि ans for geet तुमहीय बलु डा बाम कि नयन रे बाफ हर व बोडीय गोडीयमा परि जाक रंग बरे करा
SR No.010028
Book TitleAadikal ka Hindi Jain Sahitya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarishankar Sharma
PublisherHarishankar Sharma
Publication Year
Total Pages1076
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size84 MB
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