________________
१५३
के गर्य का सम्मा और ममान्तक वर्णन इस काव्य में मिलता है।वास्तव में इस महाकाव्य की ऐतिहासिकता सर्व सिद्ध है।'
भाषा विज्ञान की इष्टि से भी प्रस्तुत रचना का अध्ययन परमावश्यक है।हिन्दी पापा के विकास में ऐसी रचनाओं का बड़ा योग है। भाका, काव्य-सौष्ठव, मैगीत, प्रबन्ध, कला, पद-लालित्य और रस सभी इम्टियों से रचना महत्वपूर्ण है। पूरी कृति ४ खंडों में विभक्त है।रचना सौक्य की दृष्टि से इसका महत्व इसलिए और अधिक बढ़ जावा । कि कवि ने दोहा बापाई के अतिरिक्त विविध रागों में ढालकर काव्य रचना की है तथा माथ पवाड़ा वीर्षक के अन्तत बीर काव्य की सर्चना की है।यही नहीं, एक विशिष्ट बात यह है कि भडाउठीजीर्षक के अन्तर्गत कवि ने गद्य में वर्णन किया है। कुछ उद्धरण देखिए:
ही कह धयूं चारु, गयमि म सूपा पान राठी बल मुहासइ माया ढम ढमीया नीसान भान्या सुणी शिबाला रमि राउतवट कीधी बतड ममा पहिला घाउ लम्, अन्न प्रतन्या लीधी मामइ बम बरासं बीळ, शिवडों सनवि लाई अबपति मा बसाइमा बारमा इम्मा पाई गीन पुरष रहमालि योगी, गाई कामा गत बडा रोकिमि पेरण माता भारी माग विवार की विम्यारि बढ़ बोलबीर बाबरा कर परक बना भूल करण्टीमा मारि नया नो
150 the Kanbardada Prabandh
modern,Rajasthanluteratures the that givua'an atearate second or to
y may doubt that the poot has to worldchrontolesamnam
Amasthent, sterones