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उक्त उद्धरण में विदेशी शब्द तथा सिन्धी भाषा के यूँ, उडी, आदि शब्द हृष्ट्य
है। अत्याचारी आक्रमण कता की नृशंसता का एक मर्मान्तक चित्र देखिए:
एक जूजूआ डालर कीधा वाइ बाध्यां आलइ
एक लोक माय बाप विलोया एक पाठीआ गालइ
करी विछोह मां कीधा सवि नारि नइ नाइ बालवृक्ष टलवलता दीठं कटकि उछली धाह एक मणइ अम्हे जममि आगिलड डीडया किस्यूँ आजू तुरका पासि पाडीओ दैवि बहरी दीघरं पूर्व कूडी साथ कई अहै दीधी कई बढाव्यां आल कह जननी उछरंगि रंगता थान विछोहया बाल
गाइती का गोबर वेडयां का सोप्या आघाट
कइ मत्र जई जंगलि मुध लीची का किही पाडी वाट ( १५७-१६१) बादशाह के दल का वर्णन कवि की प्रबंधात्मकता एवं आलंकारिकता का प्रतीक है। वर्णन का प्रवाह देखिए :
गये गये ब दहि आव्यां बडी वाल्या सुरवीन बिही काम दीइ तिहाइ सात कोस मेढा हाथी दिव्यारि वाक्रीया घंटा परमाल we areat ers पटुका कुंनस्थल सुविसाल
lastly the Kashadade as a work of art. It the partrayal of its the sentiments, The 1ively, sombre ar gay.
Page 2. Introduction
elain a high place of honour grand vits design, vigorous in and masterly in its treatment of attw, punctuated by descriptions filled with rate charm,make western Rajasthani literature Tyale